देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज SDRF वाहिनी मुख्यालय, जौलीग्रांट, देहरादून हेतु नवनिर्मित भवनों का लोकार्पण किया। लगभग 23 हेक्टेयर भूमि में SDRF वाहिनी हेतु आवश्यक विभिन्न भवनों का निर्माण किया गया है।
वर्ष 2014 में उत्तराखंड राज्य में SDRF गठन के उपरांत जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के निकट अस्थायी व वैकल्पिक व्यवस्था से आवास व SDRF कार्यालय संचालित किए जा रहे थे और साथ ही दूसरी ओर SDRF वाहिनी हेतु आवंटित लगभग 23 हेक्टेयर जमीन पर निर्माण कार्य भी जोर-शोर से गतिमान था।
विश्व बैंक पोषित परियोजना Uttarakhand Disaster Recovery Project (AF) के अन्तर्गत एसडीआरएफ ट्रेनिंग सेन्टर / वाहिनी मुख्यालय का निर्माण कार्य 17 जनवरी 2019 को प्रारम्भ किया गया, जिसका निर्माण कार्य 30 नवम्बर 2022 को पूर्ण हुआ। प्रथम फेज में हुए कार्य के अंतर्गत विभिन्न भवनों जैसे एडमिन ब्लॉक, ट्रेनिंग ब्लॉक, मल्टी पर्पज हॉल, सीनियर ऑफिसर्स ट्रांजिट हॉस्टल, जूनियर ऑफिसर्स ट्रांजिट हॉस्टल, डिस्पेन्सरी, बैरिक, डॉग कैनल, एमटी ऑफिस, लॉन्ड्री एंड वाशिंग रूम, ट्रेनिंग स्टोर, रेस्क्यू रिलीफ स्टोर, ड्राईवर डोरमेट्री काम्प्लेक्स, आवासीय भवन इत्यादि को तैयार किया गया। कुल 02 चरणों में चलने वाले इस निर्माण कार्य के प्रथम चरण में कुल रू0 101.4 करोड़ की धनराशि खर्च हुई एवं द्वितीय चरण के निर्माण कार्य हेतु रू0 43.39 करोड़ का खर्च प्रस्तावित हैं।
वाहिनी परिसर में मुख्यमंत्री के आगमन पर सर्वप्रथम सलामी गार्ड द्वारा सलामी दी गयी तदुपरान्त एसडीआरएफ के नव निर्मित भवन का लोकार्पण किया गया। भविष्य में भी नव निर्मित भवन की सुंदरता व भव्यता यूं ही बनी रहे इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री व अन्य महानुभावों द्वारा लोकार्पण पट्टिका के अनावरण के बाद वृक्षारोपण भी किया गया। एसडीआरएफ द्वारा प्रदर्शनी के माध्यम से अत्याधुनिक रेस्क्यू उपकरणों व रेस्क्यू कार्यों के बारे में जानकारी प्रदान की गई। महोदय द्वारा नव निर्मित समस्त भवनों का निरीक्षण करने के उपरांत मुख्य मंच पर आगमन किया गया।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार द्वारा मुख्य अथिति का आभार व्यक्त करते हुए केदारनाथ आपदा के उपरान्त अस्तित्व में आये इस बल ने केदारनाथ घाटी को पुनर्स्थापित करने व विभीषिका के उपरांत पुनः चारधाम यात्रा को संचालित करने में अहम भूमिका निभाई है। मात्र दो कम्पनी से शुरू होकर आज एस.डी.आर.एफ की 05 कंपनियां प्रदेश में 39 स्थानों पर अभूतपूर्व कार्य कर रही है। आपदाओं के दौरान एसडीआरएफ के जवानों ने सराहनीय कार्य कर अपनी कार्यक्षमता व कार्यदक्षता का परिचय दिया है।
पुलिस महानिरीक्षक एसडीआरएफ द्वारा का स्वागत सम्बोधन किया गया, जिसमें महोदया द्वारा बताया गया कि राज्य के लिये यह गौरव का विषय है कि SDRF द्वारा प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों जैसे- बिहार, हरियाणा, आन्ध्र प्रदेश आदि में भी रेस्क्यू कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जहां एक ओर स्थापना के पश्चात से ही SDRF द्वारा अनेक रेस्क्यू ऑपरेशन के साथ-साथ धार्मिक यात्राओं के सफल संचालन में अपनी क्षमतानुरूप शत प्रतिशत योगदान दिया हैवहीं दूसरी ओर विगत वर्षों में सम्पूर्ण प्रदेश में कोविड- 19 संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम हेतु वृहद जन जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ-साथ कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग सेन्टर का संचालन, मेडिकल किट वितरण संकमित शव का दाह संस्कार आदि विशेष उल्लेखनीय कार्य किये गये है। उनके कुशल निर्देशन में SDRF मुख्यालय को Center for Excellence के रूप में विकसित किया जा रहा है जिससे भविष्य में समस्त आपदा प्रबन्धन सम्बन्धी प्रशिक्षणों के साथ मा० प्रधानमंत्री महोदय के आपदा प्रबन्धन सम्बन्धी “10 Point Agenda” के लक्ष्य को प्राप्त करने एवं राज्य में Disaster Resilient Society विकसित करने में निश्चित रूप से सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नवनिर्मित एस.डी.आर.एफ ट्रेनिंग सेंटर और वाहिनी मुख्यालय के लोकार्पण के अवसर पर एस.डी.आर.एफ की टीम को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि मुझे मुख्य सेवक के रूप में एसडीआरएफ के इस नवनिर्मित मुख्यालय को आज प्रदेश को समर्पित करने का मौका मिल रहा है। एस.डी.आर.एफ के मुख्यालय में प्रशिक्षण एवं आपदा प्रबंधन की दृष्टि से अन्य गतिविधियां भी होंगी। उन्होंने कहा कि एस.डी.आर.एफ के जवानों और अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन साहस, वीरता, सेवा और समर्पण भाव को से किया जा रहा है। इनका त्याग और कार्यकुशलता अनुकरणीय है। विषम परिस्थितियों में इनके द्वारा जिस साहस से कार्य किया जाता है, वह सराहनीय है।
महोदय ने कहा कि प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हमारे पुलिस के जवान मोर्चा संभालते हैं और लोगों की जान बचाने के लिए आगे आते हैं। राज्य में 2013 में एस.डी.आर.एफ के गठन से ही एस.डी.आर.एफ ने आपदा के समय देवभूमि में समय-समय पर अनुकरणीय एवं प्रभावी कार्य किए है। गठन से अब तक एसडीआरएफ द्वारा तीन हजार से अधिक रेस्क्यू ऑपरेशनों में बारह हजार से अधिक घायलों का सफल रेस्क्यू किया गया एवं विषम परिस्थितियों में करीब दो हजार शवों को रिकवर भी किया गया। एसडीआरएफ उत्तराखण्ड ने अपनी कार्यकुशलता एवं रेस्क्यू दक्षता के चलते राज्य के आम जनमानस के साथ-साथ प्रतिवर्ष धार्मिक, आध्यात्मिक एवं साहसिक पर्यटन हेतु राज्य में आने वाले लाखों लोगों के मन मस्तिष्क में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। विकट परिस्थितियों में राहत एवं बचाव कार्यों के साथ ही आम जनमानस को आपदा की विभीषिका का बोध कराने एवं सामुदायिक क्षमता विकसित करने हेतु एसडीआएफ द्वारा वृहद स्तर पर जन-जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित किये जाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ माह पूर्व जोशीमठ में आई प्राकृतिक भूधंसाव की घटना के पश्चात राहत एवं बचाव कार्य के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने का कार्य भी एसडीआरएफ के हमारे जवानों और अधिकारियों ने बड़ी ही कुशलता के साथ किया। उत्तरकाशी एवलांच की घटना के बाद फंसे हुए ट्रैकर्स को निकालने में भी एसडीआरएफ की बड़ी भूमिका रही थी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसी प्रकार एसडीआरएफ आगे भी कुशलतापूर्वक किसी भी आपदा के समय राहत एवं बचाव का महत्वपूर्ण कार्य करती रहेगी।
हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि एस.डी.आर.एफ के मुख्यालय बनने से यहां पर जवानों को प्रशिक्षण एवं अन्य सुविधाएं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि हमारा हिमालयी क्षेत्र आपदा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण एस.डी.आर.एफ को सशक्त बनाना जरूरी है। एसडीआरएफ के गठन के बाद से ही इनके द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एसडीआरएफ को जिला एवं मंडल स्तर तक भी लोगों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्थाओं की दिशा में भी आगे बढ़ना होगा।
विधायक डोईवाला, बृजभूषण गैरोला द्वारा एसडीआरएफ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए इस नव निर्मित परिसर को आपदा प्रशिक्षण कलिये लाभकारी बताया गया।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखण्ड में एसडीआरएफ के गठन से ही उनके द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। एसडीआरएफ एक मोटिवेशनल फोर्स के रूप में आगे बढ़ रही है। आपदा प्रबंधन की दृष्टि से एक सशक्त बल के रूप में कार्य कर रही है।
मणिकांत मिश्रा द्वारा मुख्यमंत्री को आतिथ्य ग्रहण करने पर धन्यवाद दिया गया। इनके द्वारा बताया कि स्थापना वर्ष से अब तक एसडीआरएफ किस प्रकार निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर है। डीप डाइविंग, हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू, CBRN(chemical biological radiological nuclear) रेस्क्यू, सर्च व रेस्क्यू श्वान दल जैसी विशेषज्ञ टीमों से सुसज्जित यह बल प्रत्येक छोटी बड़ी घटना में अपनी कार्य दक्षता सिद्ध कर रहा है।इसके साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित समस्त गणमान्य व्यक्तियों व उत्तराखंड पुलिस के उच्चाधिकारियों को कार्यक्रम को गरिमामय बनाने हेतू धन्यवाद दिया गया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि एस०डी०आर०एफ० द्वारा 11 हजार फीट से अधिक ऊँचाई पर किये जाने वाले रेस्क्यू कार्यों के लिए अन्य अर्धसैनिक बलों की तर्ज पर एस.डी.आर.एफ में कार्य करने वाले राजपत्रित अधिकारियों को 1500 रुपए एवं अराजपत्रित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को 1000 रुपए प्रतिदिन जोखिम भत्ता प्रदान किया जाएगा। आपदा प्रबन्धन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाए जाने के उद्देश्य से एस.डी.आर.एफ की छठी कम्पनी गठित की जाएगी, जिसमें प्राथमिकता के आधार पर एक-तिहाई महिला कार्मिकों की नियुक्ति की जाएगी। एस.डी.आर.एफ. में प्रतिनियुक्ति की समयावधि 07 वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष की जाएगी।
मुख्यमंत्री द्वारा एसडीआरएफ में विशिष्ट कार्य करने वाले 15 अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सम्मानित हुए कार्मिकों की सूची निम्न है:-
1. निरीक्षक प्रमोद कुमार रावत
2. निरीक्षक जगदम्बा प्रसाद
3. निरीक्षक गजेंद्र परवाल
4. निरीक्षक कर्ण सिंह
5. निरीक्षक अनिरुद्ध भंडारी
6. निरीक्षक कवींद्र सजवाण
7. निरीक्षक अमित चौहान
8. निरीक्षक संजय रौथाण
9. निरीक्षक ललिता नेगी
10. उपनिरीक्षक विजय प्रसाद रयाल
11. उपनिरीक्षक एम आलोक चंद
12. मुख्य आरक्षी कुलदीप सिंह
13. मुख्य आरक्षी राजेन्द्र नाथ
14. मुख्य आरक्षी मनोज धोनी
15. आरक्षी विनीत कुमार
लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, एलएल विधायक बृजभूषण गैरोला, विधानसभा डोईवाला, श्री अशोक कुमार, पुलिस महानिदेशक, उत्तराखंड, राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव, रंजीत कुमार सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास, पी.वी.के. प्रसाद, अपर पुलिस महानिदेशक, पीएसी, अमित सिन्हा, अपर पुलिस महानिदेशक, टेलीकॉम/CCTNS, रिधिम अग्रवाल, पुलिस महानिरीक्षक, SDRF, सविन बंसल, PIU इत्यादि की गरिमामयी उपस्थिति रही।
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