अजय टम्टा, उत्तराखंड के अल्मोड़ा से लोकसभा सांसद, मोदी 3.0 सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं। उनकी यह नियुक्ति उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देकर सम्मानित किया है1। अजय टम्टा ने अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से लगातार तीसरी बार चुनाव जीता है और इससे पहले भी वे मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कपड़ा राज्यमंत्री रह चुके हैं2।
अजय टम्टा का जन्म 16 जुलाई 1972 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था। उनके पिता मनोहर लाल टम्टा पोस्टल विभाग में अधिकारी थे और उनकी माता निर्मला टम्टा गृहिणी थीं। अजय टम्टा छह भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 23 साल की उम्र में की थी। 1997 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और जिला पंचायत चुनाव जीतने के बाद उन्हें जिला पंचायत का उपाध्यक्ष बनाया गया2।
अजय टम्टा ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 2002 में बीजेपी से टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी थी और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सोमेश्वर से विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि, इस चुनाव में वे कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप टम्टा से हार गए थे। लेकिन 2007 में उन्हें जीत हासिल हुई और उन्होंने 2009 के आम चुनाव में पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें कांग्रेस के प्रदीप टम्टा ने हरा दिया था। फिर भी, उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और लोकप्रियता के बल पर 2014, 2019 और 2024 में लगातार तीन बार संसद पहुंचे2।
अजय टम्टा की इस नियुक्ति को उत्तराखंड की जातिगत समीकरण साधने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है। उत्तराखंड में ठाकुर मुख्यमंत्री, ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष के बाद दलित चेहरे को वरीयता देकर मोदी सरकार ने जातिगत समीकरण साधने की कोशिश की है। अजय टम्टा के सौम्य व्यवहार और जनता के बीच में खासी पैठ के कारण उन्हें अल्मोड़ा की जनता ने एक बार फिर संसद भेजा है2। उनकी यह उपलब्धि उत्तराखंड के लिए एक गर्व का क्षण है और उनके राजनीतिक सफर की एक नई ऊंचाई को दर्शाती है।
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