चंपावत जिले में आज एरोमा मिशन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य एरोमा मिशन के तहत किसानों और काश्तकारों को सगंध व पारम्परिक खेती को क्लस्टर के रूप में विकसित करने की जानकारी देना है। कार्यशाला में विभिन्न स्थानों से आये वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने रेखीय विभागों, किसानों, काश्तकारों और स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधियों को एरोमा मिशन के बारे में जानकारी दी। उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त निदेशक प्रोफेसर डी. पी. उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड को सशक्त प्रदेश बनाने के लिए प्रदेश में अभिनव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत एरोमा मिशन की शुरूआत चंपावत से की जा रही है। उन्होंने बताया कि चम्पावत के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्र दोनों ही भौगोलिक रूप से एरोमेटिक खेती के लिए अनुकूल हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से किसानों को सगंध खेती की बेहतर जानकारी मिलेगी और उनकी आर्थिकी में भी सुधार होगा।

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