उत्तराखंड ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा विधानसभा में पारित कर दिया है। इससे राज्य में सभी धर्म और समुदाय के लोगों के लिए विवाह, तलाक, विरासत, संपत्ति आदि के मामलों में एक ही कानून लागू होगा। यह देश का पहला राज्य है, जिसने आजादी के बाद यूसीसी को अपनाया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लोगों ने इस कार्य के लिए जमकर तारीफ की और उनका पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यूसीसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने को पूरा करने का एक माध्यम है, जो राष्ट्रीय एकता और समानता को मजबूत करेगा। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे यूसीसी को लागू करने में सहयोग करें और इसके फायदे अनुभव करें।
यूसीसी का मसौदा बनाने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति को जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसने अपनी रिपोर्ट 2 फरवरी को सरकार को दी। सरकार ने इसे कैबिनेट में मंजूर करके विधानसभा में पेश किया, जहां से यह बहुमत से पारित हुआ।
यूसीसी के अंतर्गत, राज्य में कई परिवर्तन होंगे। बहुविवाह, लिव-इन रिलेशनशिप, शादी का रजिस्ट्रेशन आदि पर नए नियम लागू होंगे। लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल होगी और बेटियों को पूर्वजों की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा। यूसीसी का उद्देश्य राज्य में सभी नागरिकों को एक समान अधिकार और न्याय दिलाना है।
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