बीते शनिवार से रविवार की शाम तक, यानी 24 घंटों के अंतराल में, प्रदेश के विभिन्न भागों में जंगलों में आग लगने की 16 घटनाएँ सामने आईं। इस दौरान, लगभग 18 हेक्टेयर वन क्षेत्र आग की चपेट में आ गया। इस वर्ष के फायर सीजन में अब तक कुल 93 बार जंगल में आग लग चुकी है, जिससे तकरीबन 94 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
इन आग की घटनाओं ने न केवल वन्यजीवों के आवास को नष्ट किया है, बल्कि वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन भी बढ़ाया है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन पर भी असर पड़ा है। वन विभाग और स्थानीय समुदाय इन आग की घटनाओं से निपटने के लिए सतर्क हैं और आग बुझाने के उपायों में लगे हुए हैं। इसके अलावा, आग से बचाव और नियंत्रण के लिए नई तकनीकों और रणनीतियों को अपनाने की भी जरूरत है।
वनाग्नि की इन घटनाओं का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि अधिकांश आग मानवीय गतिविधियों जैसे कि खेती के लिए जंगल को साफ करना, अवैध शिकार और लापरवाही से आग लगाने के कारण लगी है। इसलिए, जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए जागरूकता और शिक्षा की भी बहुत आवश्यकता है।
आगे चलकर, इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए समुदायों को सशक्त बनाना, वन क्षेत्रों की निगरानी में सुधार करना, और आग लगने की स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता बढ़ाना जरूरी है। इसके अलावा, जंगलों की आग से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समर्थन भी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, हम सभी को मिलकर वनों की रक्षा करनी होगी और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में योगदान देना होगा
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