अल्मोड़ा स्थित गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों के लिए हिमालयी पारिस्थितिकी और इकोटूरिज्म से संबंधित वानिकी मुद्दों पर अनिवार्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आज भी जारी रहा। यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के दिशा निर्देशों पर पर्यावरण संस्थान द्वारा आयोजित किया जा रहा है। एक सप्ताह चलने वाले इस कार्यक्रम में हिमालयी वन पारिस्थितिकी, वन संरक्षण और प्रबंधन, वन नीति और शासन, सामुदायिक जुड़ाव और आजीविका, इकोटूरिज्म और टिकाऊ प्रथाओं, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और लचीलापन, जैवसंसाधन, टिकाऊ उपयोग और पहुंच और लाभ साझाकरण सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होगी। वानिकी, पारिस्थितिकी, नीति प्रशासन, पारिस्थितिक पर्यटन और सतत विकास में अनुभव वाले राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की एक टीम को इस प्रशिक्षण के दौरान व्याख्यान देने और पैनल चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस प्रकार, प्रतिभागियों को उभरते वानिकी और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर विशेषज्ञों के साथ-साथ अनुभव साझा करने के माध्यम से एक-दूसरे से सीखने का अवसर मिलेगा। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वन अधिकारियों को वन संरक्षण, हिमालयी पारिस्थितिकी और पारिस्थितिक पर्यटन के बीच संबंधों की गहरी समझ को बढ़ावा देकर क्षेत्र को प्रभावित करने वाली वानिकी समस्याओं के समाधान के लिए सूचित कार्रवाई करने के लिए आवश्यक ज्ञान से तैयार करेगा। इसका उद्देश्य हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम करने के लिए विविध हितधारकों को एक साथ लाना, एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है, साथ ही स्थानीय समुदायों का समर्थन करना और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देना है।कार्यक्रम में कुल नौ तकनीकी सत्र आयोजित किये जा रहे हैं जिनमें विभिन्न विषय शामिल हैं. इन तकनीकी सत्रों विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक एवं विषय विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं.
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