देहरादून, 02 जुलाई 2025।। जिलाधिकारी सविन बंसल की संवेदनशील कार्यशैली और त्वरित न्यायिक दखल का एक उत्कृष्ट उदाहरण मंगलवार को तब सामने आया जब एक बुजुर्ग दम्पति – सरदार परमजीत सिंह एवं उनकी पत्नी अमरजीत कौर को अपने ही बेटे द्वारा बेदखल कर दिए जाने के बाद डीएम न्यायालय में न्याय मिला।
बुजुर्ग दम्पति ने अपने जीवनभर की कमाई से खरीदी 3080 वर्गफुट की सम्पत्ति जिसमें दो बड़े हॉल शामिल हैं, अपने पुत्र गुरविंदर सिंह के नाम गिफ्ट डीड द्वारा कर दी थी। शर्त थी कि बेटा उनका भरण-पोषण करेगा, साथ रहेगा और पोते-पोतियों को दादा-दादी से मिलने से नहीं रोकेगा।
परंतु गिफ्ट डीड मिलते ही पुत्र ने शर्तों की खुल्लमखुल्ला अनदेखी करते हुए माता-पिता को न केवल घर से निकाल दिया, बल्कि पोते-पोतियों से मिलने तक पर रोक लगा दी। दम्पति ने पहले तहसील, थाना और अवर न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई, परंतु निराशा हाथ लगी।
आखिरकार बुजुर्ग दम्पति ने जिलाधिकारी न्यायालय की शरण ली। डीएम सविन बंसल ने मामले का संज्ञान लेते हुए भरण-पोषण अधिनियम की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए तुरंत कार्रवाई की।
गुरविंदर सिंह को विधिवत नोटिस व सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी की गई, लेकिन उसने न तो जवाब दाखिल किया और न ही स्वयं उपस्थित हुआ। पहली ही सुनवाई में डीएम ने गिफ्ट डीड को रद्द करते हुए सम्पत्ति को पुनः बुजुर्ग दम्पति के नाम कर दिया।
डीएम बंसल का यह फैसला जैसे ही सुनाया गया, दम्पति की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
इस निर्णय ने न केवल बुजुर्गों को न्याय दिलाया, बल्कि यह भी दिखाया कि उत्तराखंड प्रशासन असहायों के साथ खड़ा है और सामाजिक जिम्मेदारी से विमुख लोगों के खिलाफ निर्भीक कार्रवाई करने से नहीं हिचकता।
यह प्रकरण न केवल एक मिसाल बना है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि माता-पिता के साथ धोखा करने वालों को कानून के कठोर प्रहार का सामना करना पड़ेगा।

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