उत्तराखंड की पवित्र धरती पर, भगवान बद्रीविशाल की आराधना में एक अनूठी परंपरा का अनुसरण किया जाता है। इस परंपरा के अनुसार, तिलों के तेल से निर्मित गाडू घड़ा तेल कलश को एक विशेष यात्रा के माध्यम से नरेंद्र नगर से लेकर कर्णप्रयाग होते हुए डिमर गांव तक पहुंचाया जाता है। यह यात्रा न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि समुदाय की एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाती है।
इस यात्रा का प्रारंभ नरेंद्र नगर से होता है, जहां से भक्तगण तेल कलश को लेकर एक शोभा यात्रा के रूप में चलते हैं। यह यात्रा अपने मार्ग में कर्णप्रयाग के पवित्र स्थलों से होकर गुजरती है, जहां भक्तों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। अंततः, यह यात्रा डिमर गांव पहुंचती है, जहां भगवान बद्रीविशाल के विग्रह पर नित्य महाभिषेक के लिए इस तेल का उपयोग किया जाता है।
इस यात्रा के पहले चरण की समाप्ति के साथ, भक्तों के चेहरे पर एक अलौकिक आनंद और संतोष की झलक देखी जा सकती है। यह यात्रा न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह उत्तराखंड की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी संजोए हुए है। इस प्रकार, गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा न केवल भगवान बद्रीविशाल के प्रति भक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि यह उत्तराखंड की अमूल्य परंपराओं और उसके लोगों की आस्था का भी प्रतीक है। इस यात्रा के माध्यम से, भक्तगण अपनी आस्था और समर्पण को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं, जिससे यह परंपरा अनंत काल तक जीवित रहे।
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